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Tuesday 6 March 2018

श्रम करने में शर्म नही कहानी 2018


श्रम करने में शर्म नही
बाल कहनी

अमन को वह लड़का पसंद नही था, जो उस के पिता के साथ खड़ा था | उसने मेले से कपडे पहन रखे थे | उस के पिता ने कहा, यह विक्रम है | इसका तुम्हारी ही कक्षा में एडमिशन हुआ है | इससे अच्छा व्यवाहर करना | उसकी माँ ने कहा, मैं अमन के कुछ यूनिफार्म इसको दे दूंगी | जब विक्रम वह से चला गया तो अमन के पिता बोले, बेचारा गरीब लड़का है | इसकी माँ मेरे दफ्तर में सफाई कर्मी है | वह अपने बेटे के लिए बड़े सपने देखती है |
      अगले दिन विक्रम अमन की युनिफोर्म पहनकर क्लास में आया | अमन को उस पर गुस्सा आया | अमन को पहचानते हुए विक्रम उसकी तरफ मुस्कुराते हुए बड़ा, लेकिन अमन ने उसे नजरंदाज कर दिया | विक्रम शर्मिंदा हुआ और वहां से चला गया | विक्रम अच्छा छात्र था, खूब ध्यान लगाकर पड़ता था और टीचर व्दारा पूछे गये सभी प्रश्नों का उत्तर देता था | वह गणित में भी तेज था, सब सवाल हल कर लेता था |
ब्रेक में जब विक्रम ने अपना लंच बोक्स खोला तो खट्टे दही की गंध पुरे क्लासरूम में फ़ैल गई | अमन व उसके दोस्तों ने अपनी नको पर रूमाल रख लिया और विक्रम पर भद्दे  कमेंट पास करने लगे... स्कुल के बाद अमन ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर विक्रम को रास्ता रोका और उसे धमकाने लगे, हमे अपनी क्लास में गन्दा लड़का नही चाहिए | यहा से चले जाओ, नही तो हम तुमे मरेंगे | विक्रम ने जवाब दिया, मैं स्कुल में पड़ने के लिए आता हु | मुझे अकेला छोड़ दो | लेकिन अमन ओ उसके साथी कुछ सुनने के लिए तैयार न थे, वह उसे पीटने के लिए आगे बड़े |
      अचानक विक्रम ने कराटे की मुर्दा ली और अमन पर वार किया, जो एक ही झटके में निचे गिर गया | उसके साथी भाग खड़े हुए | तभी विक्रम ने तालियों की आवाज सुनी | यह क्लास टीचर मीनाशी थी, जो कह रही थी, अच्छा किया ! इनका यही ईलाज है | तुम्हारा कराटे अच्छा है | विक्रम ने झिझकते हुए कहा, मैं कराटे में ब्लेक बेल्ट हु | मेरी माँ अमन के पिता के दफ्तर में सफिकर्मी है | अब अमन का एक ही लक्ष्य था- वह विक्रम से बेहतर नंबर लाना चाहता था | अर्ध्द – वार्षिक परीक्षा शुरू हो गई थी | अमन ने रातभर पड़ाई की थी, जमकर भोजन भी किया था | प्रश्नपत्र बंट गये |
लेकिन जागने व भरी फ़ूड के करण अमन की तबियत ख़राब हो गई, वह उलटी करने लगा | बदबू के करण उसके दोस्त अपनी-अपनी नाक भींचकर क्लास से बहार चले गये | सफाईकर्मी किंडरगार्टन के छात्रो में व्यस्त था, उसे आने में देर थी | विक्रम अमन के पास गया और उसे वाशरूम ले गया | उसने अमन की शर्ट व बनियान भी धोए और उन्हें सुखाने के लिए टांग दिए | वह क्लास में लोटा और उसने वह की भी सफाई करना सुरु कर दी | टीचर ने उसे रोकना चाहा, लेकिन वह बोला, मैम चिंता न करे मुझे तो अपनी माँ की मदद करने की आदत है |बाद में वह अमन के सूखे हुए कपडे भी उठाकर लाया और सबने परीक्षा पूरी की |
उस शाम टीचर ने देखा की अमन स्वच्छ भारत अभियान में हिस्सा ले रहा है, वह स्लम के निकट सडक साफ कर रहा है और विक्रम कूड़ा एकत्र करने के लिए डस्टबिन लिए हुए है | उसे मालूम हो चूका था की किसी भी प्रकार के श्रम में कोई शर्म नही है और कोई अपने कार्य से अछूत नही हो जाता |

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