चालाक बकरा हिन्दी
कहानी 2018
चालाक बकरा
बाल कहानी
अपने नये बकरे के
साथ चरवाह घर लोट रहा था | वह घास के मैदान से गुजरा तो उसने बकरे को कुछ देर चरने
के लिए वही छोड़ दिया | घास खाते समय बकरे ने एक आवाज सुनी, एक भालू उसे घुर रहा था
| बकरा यह नही दिखाना चाहता था की वह दर गया है, इसलिए उसने घास चरना जारी रखा | भालू
करीब आ गया और बकरे के सीधे व तेज सींगो; गर्दन के अंदरूनी हिस्से के दोनों तरफ
सफ़ेद बतोरियों और पीछे निरंतर हिलती छोटी सी दुम को घूरने लगा | बकरा अंजान होकर
घास चरने में व्यस्त रहा | बकरे के साहस को देखकर भालू सोचने लगा, दुश्मन इसके
सामने खड़ा है और यह फिर भी घास खा रहा है? यह केसे हो सकता है? भालू ने कुछ साहस
जुटाया और बकरे से मालूम किया, मुझे
बताओ, तुम्हारे सिर
पर यह क्या है?
और यह पीछे क्या है
जो निरंतर हिल रही है?
कुल्हाड़ी है, एक
अन्य हथियार, दुश्मन का सिर काटने के लिए |
और तुम्हारी गर्दन
के अंदरूनी हिस्से में यह दो सफ़ेद घरियाँ क्या है ?
भालू का मांस खाने
के बाद अपने गले को साफ करने के लिए में इनका प्रयोग करता हु, यह कहते हुए बकरा
बेखोफ घास खाता रहा |
यह सुनकर भालू डर
गया और वहां से भाग खड़ा हुआ | रास्ते में उसे लोमड़ी मिली, जिसने मालूम किया की वह
एक बकरे से थोड़ी देर बात करने के बाद क्यों भाग रहा है ?
भालू ने उसे बताया
की बकरे के पास उसे मारने के लिए चाकू व कुल्हाड़ी है और उसका मांस खाने के बाद गला
साफ करने के लिए दो बतोरियां भी है | इस पर लोमड़ी बोली, अरे नही, वह मामूली बकरा
है, मेरा यकीन मानो, आओं उसके मांस से दावत उड़ाते है |
जब बकरे ने देखा की
भालू लोमड़ी के साथ वापस लोट रहा है, तो उसे लगा की दोनों जंगली जानवर उसे मार
देंगे | लेकिन वह घास खता रहा | जब दोनों पास आ गये तो बकरा मुस्कुराया और लोमड़ी
से बोला, आह! मेरे दोस्त | मुझे ख़ुशी है की तुमने अपना वायदा पूरा किया और भालू को
मेरे भोजन के लिए मेरे पास ले आये | आओं इसे मारकर आपस में इसका गोश्त बांट लेते
है | यह सुनकर भालू दूसरी बार डर गया और वहां से भाग गया | उसके पीछे-पीछे लोमड़ी
भी भागी उससे मन्नते करते हुए की डरने की
आवश्यकता नही है | उस समय तक बकरे ने चरागाह में अपने मालिक को देख लिया था और वह
उसके पास दोड़कर चला गया, यह सोचते हुए की जरुरी नही की किस्मत तीसरी बार भी उस पर
मेहरबान हो |
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