बर्तन टूट गए
बाल कहानी
बचपन में ही चिनू के माता–पिता
उसे रोता-बिलखता छोड़ एक दुर्घटना में अपनी जान गंवा चुके थे | तब वह लगभग 10 वर्ष
का था |रिश्तेदारों ने कोई ध्यान नही दिया तो पडोस के एक सेट ने उसे नोकर रख लिया
|
सेट-सेटानी बहुत
दयालु स्वभाव के थे | वे उसे कभी डांटते-फटकारते नही थे | हर काम बड़े प्यार से
करवाते थे | पर उनकी बेटी मोना बहुत घमंडी थी | सेट जी की इकलोती ओलाद होने के करण
वह बहुत जिद्दी भी थी | वह जब-तक चिनू को डांटती रहती |
मोना के माता-पिता
उसे समझाते की चिनू उसका भाई है मगर वह कभी उसे भाई मानने को तेयार नही होती थी |
अतः जब कभी उसके माता-पिता कही जाते तो वे चिनू से उसका ख्याल रखने को कह जाते |
माता-पिता के जाते ही वह
चिनू को तरह तरह से परेशान करना शुरू कर देती | जो काम करने के लिए चिनू उसे मना
करता, वह वही करती |
एक दिन उसके माता
पिता कही गए हुए थे | वह रसोई में जाकर कांच के बर्तनो को इधर-उधर रखने लगी | चिनू
ने उसे मना किया तो वह तुनक कर बो बोली,’ये बर्तन तुम्हारे नही है, मेरे मम्मी
पापा के है | मै कुछ भी करू, तुम्हे क्या मतलब |’
चिनू ने चुप रहना ही बेहतर
समझ | वह बहार जाकर बेट गया | वह अभी आकर बैटा ही था की रसोई में जोर से कुछ टूटने
की आवाज आई | वहां भागकर रसोई की तरफ दोडा | उसने वहां का द्रश्य देखा तो दंग रह
गया |
सारी रसोई में कांच बीखरे
पड़े थे और मोना वहां बेटकर रो रही थी |
‘यह क्या हुआ’ उसने आश्चर्य
से मोना से पूछा |
वह जोर जोर से रोने लगी,
फिर रोते रोते बोली, ‘ऊपर से भारी पतीला बर्तनो पर गिरा और बर्तन टूट गए |’
‘तुम्हे चोट तो नही
आई |’ चिनू जल्दी से बोला | मोना ने रोते रोते ही न में सिर हिला दिया और उठकर
बहार आ गई |
इतने में ही सेट सेटानी आ
गए तो रसोई की हालात देखकर सन्न रह गए |
सेटानी ने चिनू को
डांट लगाई, ‘क्या कर रहे थे तुम यहाँ? इतनी महंगी क्राकरी तोड़ कर रख दी |’ चिनू चुपचाप बहार आ
गया व हाथ जोड़ कर बोला, मालकिन मुझे माफ़ कर दो |’
‘दफा हो जाओ यहा से |’
सेटानी चिलाई | इतने में चिनू डोडी-दोडी आई व रोते रोते माँ की सारी बात बता दी तो
माँ ने उसे खूब डांटा |
मोना बोली, ‘चिनू
भईया, मुझे माफ़ कर दो | मेरी वजह से तुम्हे माँ की डांट खानी पड़ी | मोना के मुहं
से भईया शब्द सुनकर चिनू भावविभोर हो उठा |
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