चूहे का न्याय
बाल कविता
बिल्ली मोसी बोली ......... मक्खन दूध मलाई खाऊँ
कुत्ता भोंका में भी खाऊँ
तुमसे पहले सब निपटाऊँ मिक्की माउस बिल से झाँका
सोचा समझा किस्सा भांपा
दुश्मन देख जरा सा कंपा
दोडा आया हाँ फा-हाँ फा क्यूँ हो झगडे पर आमादा हिस्सा कार लो आधा-आधा ना इसका
न उसका ज्यादा क्या इसमें है कोई बाधा कुत्ते को तरकीब सुहाई बिल्ली मन ही मन
मुस्काई
बन कार दोनों बहन-भाई लुट ले कालू हलवाई टंडी रबड़ी पर इक झपटा चाशनी में दूजा
लिपटा
मिल के खाया धेवर चपटा यूँ झगडे का किस्सा निपटा
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