इम्तिहान से छुट्टी पाई
बोडमजी ने इम्तिहान में,
खूब अक्ल का जोर लगाया |
अगली-बगली रहे झांकते,
फिर भी एक सवाल न आया ||
गिनते रहे होल की कड़ियां,
यों ही घंटे तिन बिताए |
कोरी कापी वही छोड़कर,
हंसी-ख़ुशी वापस घर आए ||
आकर खूब कबाड्डी खेले,
फिर यारो में गप्पे लड़ाई |
मोज-मजे से दिन गुजरकर,
इम्तिहान से छुट्टी पाई ||
No comments:
Post a Comment